महाभारत

महाभारत का युद्ध १८ दिन चला था। और उन १८ दिनों में १०० कौरव मारे गए और सिर्फ ५ पांडव जीते क्यूँ क्यूँकि कृष्ण थे उनके साथ। सिर्फ एक लाइन में पूरे ज़िन्दगी डिफाइन हो गयी।
ये ज़िन्दगी महाभारत है और कौरव हमारे सेंसेस , हमारी इच्छाएं , लालसाये और काम क्रोध और अहंकार डर घबराहट हर वो नेगेटिव सेंस है , कृष्णा हमारे आत्मा है हमारा हृदय , शांति द्रौपदी है , और पांडव हमारे कर्मा है |
अगर कृष्णा न हो तोह क्या कर्मा करेंगे कुछ नहीं , कैसे जीत पाएंगे हमारे सेंसेस से ?
सिर्फ १८ दिन और सब कुछ हो गया , बात सही गलत की नहीं है , कौन सही था कौन गलत था immaterial है , क्या हुआ जरूरी है |
१. अगर मुझें भी अपने जिंदगी की महाभारत जीतने है तोह कृष्णा को लाना होगा अपने पास।
२. द्रौपदी न होते तोह महाभारत न होता , शांति से बिछुड़ना ही महाभारत है।
३. आज सुबह से पता नहीं क्यों महाभारत है दिमागी में , शायद मुझे भी १८+२ दिन मिले है अपने महाभारत के लिए। जीतना जरूरी है और बेहद जरूरी है। सोच ये रही हूँ की कैसे युद्ध में शांत रहे होंगे पांडव ?? कैसे भला युद्ध में आप शांत हो सकते है जब आपको हमेशा लड़ना है , पता नहीं कब कहा से क्या गलत हो जाये और तलवार आकर आपको मार जाये ?
४. सबसे ज्यादा ध्यान की जरुरत युद्ध में होती है , जब बात मरने और जीने की हो तोह कही और ध्यान जा ही नहीं सकता। और शायद ध्यान से ही शांति आते है।
५. पढ़ा था, कि हर रात पांडवो की सभा होती थी दिन के युद्ध के बारे में , कुछ दिन उत्साहित होते थे कुछ दिन बेहद निराश। मतलब जीते थे अंत में, लेकिन हर दिन अच्छा नहीं हुआ उनका १८ दिनों में , फिर भी अगले दिन लड़ना होता था हर नयी योजना के साथ , ध्यान के साथ , हिम्मत के साथ।
६. अर्जुन को ज्ञान कृष्णा से हुआ युद्धमे वो भी उस दिन जब वो सबसे ज्यादा भ्रमित था , संशय में था , सबसे ज्यादा गिव उप पोजीशन में था।
७. सोचते हूँ कैसे कोई युद्ध में इश्वर का ध्यान और युद्ध कर सकता है। impeccable !!! ? howwww ??
८. कैसे कोई श्वांश पर ध्यान लगा सकता है जब उसे जीने मरने के लिए तलवार चलने पडी , लकिन ऐसा हुआ अर्जुन के साथ , पांडवो के साथ , मनुष्यो के साथ। यानि ये भी संभव है.
९. युद्ध जरूरी है, ज्ञान के लिए , समझने के लिए या यूं कहु कि सब कुछ संभव है युद्ध में और अगर युद्ध में संभव है तो युद्ध के बाद भी।

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